तीखी कलम से

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जी हाँ मैं आयुध निर्माणी कानपुर रक्षा मंत्रालय में तकनीकी सेवार्थ कार्यरत हूँ| मूल रूप से मैं ग्राम पैकोलिया थाना, जनपद बस्ती उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ| मेरी पूजनीया माता जी श्रीमती शारदा त्रिपाठी और पूजनीय पिता जी श्री वेद मणि त्रिपाठी सरकारी प्रतिष्ठान में कार्यरत हैं| उनका पूर्ण स्नेह व आशीर्वाद मुझे प्राप्त है|मेरे परिवार में साहित्य सृजन का कार्य पीढ़ियों से होता आ रहा है| बाबा जी स्वर्गीय श्री रामदास त्रिपाठी छंद, दोहा, कवित्त के श्रेष्ठ रचनाकार रहे हैं| ९० वर्ष की अवस्था में भी उन्होंने कई परिष्कृत रचनाएँ समाज को प्रदान की हैं| चाचा जी श्री योगेन्द्र मणि त्रिपाठी एक ख्यातिप्राप्त रचनाकार हैं| उनके छंद गीत मुक्तक व लेख में भावनाओं की अद्भुद अंतरंगता का बोध होता है| पिता जी भी एक शिक्षक होने के साथ साथ चर्चित रचनाकार हैं| माता जी को भी एक कवित्री के रूप में देखता आ रहा हूँ| पूरा परिवार हिन्दी साहित्य से जुड़ा हुआ है|इसी परिवार का एक छोटा सा पौधा हूँ| व्यंग, मुक्तक, छंद, गीत-ग़ज़ल व कहानियां लिखता हूँ| कुछ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होता रहता हूँ| कवि सम्मेलन के अतिरिक्त काव्य व सहित्यिक मंचों पर अपने जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों को आप तक पहँचाने का प्रयास करता रहा हूँ| आपके स्नेह, प्यार का प्रबल आकांक्षी हूँ| विश्वास है आपका प्यार मुझे अवश्य मिलेगा| -नवीन

गुरुवार, 27 अगस्त 2015

दिल लगाने से क्यूँ वो ख़बरदार है

----***ग़ज़ल***----

कुछ   तिलस्मी   लगा,  ये  तेरा  प्यार  है।
बेवफा      कैसा  तेरा,   ये   इकरार   है ।।

रोटियों   में  थी   खुशबू   तेरे  हाथ  की ।
चाहतो  की  भी  कैसी   ये  दरकार   है ।।

ख्वाब  में  रोज  आती  हो  जाने  वफ़ा।
ख्वाहिशों  की  तू  महंगी  सी बाजार है।।

लिख दिया तुमने खत में सबक है मगर ।
क्या   करूँ   हुश्न  तेरा   गुनहगार   है ।।

अब  वफाओं  के  ढूढो  न  मोती  यहां ।
ये  मुहब्बत  बनी   आज   व्यापार   है।।

उस  नदी से भी अब  वास्ता  क्या  रखूँ ।
जो  बहा ले  गयी  मुझको  मझधार  है।।

जिनके  मीठे  बचन   दिल   चुराते   रहे ।
अब  जुबाँ  पर वहां  खार  ही  खार  है ।।

उसकी  फितरत बदलती  रही  रात  दिन ।
दिल   लगाने  से   क्यूँ  वो  खबरदार  है।।

         -नवीन

1 टिप्पणी: