तीखी कलम से

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जी हाँ मैं आयुध निर्माणी कानपुर रक्षा मंत्रालय में तकनीकी सेवार्थ कार्यरत हूँ| मूल रूप से मैं ग्राम पैकोलिया थाना, जनपद बस्ती उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ| मेरी पूजनीया माता जी श्रीमती शारदा त्रिपाठी और पूजनीय पिता जी श्री वेद मणि त्रिपाठी सरकारी प्रतिष्ठान में कार्यरत हैं| उनका पूर्ण स्नेह व आशीर्वाद मुझे प्राप्त है|मेरे परिवार में साहित्य सृजन का कार्य पीढ़ियों से होता आ रहा है| बाबा जी स्वर्गीय श्री रामदास त्रिपाठी छंद, दोहा, कवित्त के श्रेष्ठ रचनाकार रहे हैं| ९० वर्ष की अवस्था में भी उन्होंने कई परिष्कृत रचनाएँ समाज को प्रदान की हैं| चाचा जी श्री योगेन्द्र मणि त्रिपाठी एक ख्यातिप्राप्त रचनाकार हैं| उनके छंद गीत मुक्तक व लेख में भावनाओं की अद्भुद अंतरंगता का बोध होता है| पिता जी भी एक शिक्षक होने के साथ साथ चर्चित रचनाकार हैं| माता जी को भी एक कवित्री के रूप में देखता आ रहा हूँ| पूरा परिवार हिन्दी साहित्य से जुड़ा हुआ है|इसी परिवार का एक छोटा सा पौधा हूँ| व्यंग, मुक्तक, छंद, गीत-ग़ज़ल व कहानियां लिखता हूँ| कुछ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होता रहता हूँ| कवि सम्मेलन के अतिरिक्त काव्य व सहित्यिक मंचों पर अपने जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों को आप तक पहँचाने का प्रयास करता रहा हूँ| आपके स्नेह, प्यार का प्रबल आकांक्षी हूँ| विश्वास है आपका प्यार मुझे अवश्य मिलेगा| -नवीन

शनिवार, 25 जुलाई 2015

सनम अब मन्दिरो मस्ज़िद की है ताबीर भी ढहती

ग़ज़ल

यहां  मेरी  कलम  तुझ  पर  कभी तकरीर  न लिखती।
तेरी  तश्वीर   से   मिलती   हुई    तश्वीर  जो  मिलती ।।

खरीदारों  का  मज़मा  लग   रहा  तेरे  हरम  में  अब ।
सुना  तेरी   मुहब्बत  के  लिए   तहरीर  भी   बिकती  ।।

नज़ीरे  हुस्न  हो  अव्वल  तेरी  नजरो  में  जलवा  है ।
करम  हो  जाए  गर  तेरा  कोई  तकदीर  है खुलती।।

मेरा सावन  है  तू आकर  बरस  जा अब  मेरे आँगन।
यहाँ  मुद्दत  से   तुझको  तश्नगी  की  पीर  न  दिखती ।।

अमन   के  वास्ते   घूँघट  में  रहना   लाजिमी  तेरा ।
कयामत   हुश्न  बरपाता  यहॉं  शमसीर  है   चलती ।।

तुम्हारी  हर  तबस्सुम  पर  लिखे  लाखो  ने अफ़साने ।
फना  के  दरमियाँ  मुझको   तेरी  जंजीर  है  खिचती ।।

रोक  लो  इन  अदाओं को तेरी जुल्फें  भी  हैं  कातिल  ।
सनम  अब  मंदिरो  मस्जिद  की  है ताबीर  भी   ढहती  ।।

        -- नवीन मणि त्रिपाठी

ताबीर = पवित्रता    तश्नगी=प्यास
शमसीर = तलवार  तहरीर = एप्लीकेशन
तबस्सुम = मुस्कान
दरमिया= दौरान
फना =कुर्बान

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