तीखी कलम से

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जी हाँ मैं आयुध निर्माणी कानपुर रक्षा मंत्रालय में तकनीकी सेवार्थ कार्यरत हूँ| मूल रूप से मैं ग्राम पैकोलिया थाना, जनपद बस्ती उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ| मेरी पूजनीया माता जी श्रीमती शारदा त्रिपाठी और पूजनीय पिता जी श्री वेद मणि त्रिपाठी सरकारी प्रतिष्ठान में कार्यरत हैं| उनका पूर्ण स्नेह व आशीर्वाद मुझे प्राप्त है|मेरे परिवार में साहित्य सृजन का कार्य पीढ़ियों से होता आ रहा है| बाबा जी स्वर्गीय श्री रामदास त्रिपाठी छंद, दोहा, कवित्त के श्रेष्ठ रचनाकार रहे हैं| ९० वर्ष की अवस्था में भी उन्होंने कई परिष्कृत रचनाएँ समाज को प्रदान की हैं| चाचा जी श्री योगेन्द्र मणि त्रिपाठी एक ख्यातिप्राप्त रचनाकार हैं| उनके छंद गीत मुक्तक व लेख में भावनाओं की अद्भुद अंतरंगता का बोध होता है| पिता जी भी एक शिक्षक होने के साथ साथ चर्चित रचनाकार हैं| माता जी को भी एक कवित्री के रूप में देखता आ रहा हूँ| पूरा परिवार हिन्दी साहित्य से जुड़ा हुआ है|इसी परिवार का एक छोटा सा पौधा हूँ| व्यंग, मुक्तक, छंद, गीत-ग़ज़ल व कहानियां लिखता हूँ| कुछ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होता रहता हूँ| कवि सम्मेलन के अतिरिक्त काव्य व सहित्यिक मंचों पर अपने जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों को आप तक पहँचाने का प्रयास करता रहा हूँ| आपके स्नेह, प्यार का प्रबल आकांक्षी हूँ| विश्वास है आपका प्यार मुझे अवश्य मिलेगा| -नवीन

शनिवार, 20 दिसंबर 2014

हे मोम बत्तियां जलाने वाले

हे मोम बत्तियां जलाने वाले 
शांति प्रिय भारतीय 
नमन है तुम्हारी सहन शीलता पर
पाक के दर्द में विलीनता पर 
तुम सचमुच में महान हो 
तुम्हारा नोबल से सम्मान हो 
तुम्हारी इन्ही संवेदनाओं से 
देश में तेज उजाला होता है ।
बमो का धमाका होता है ।
लाखो हिंदुस्तानियो के हत्यारों के लिए 
तुम्हारी संवेदनाये अनमोल हैं ।
तुम्हारी कृपा से देश में आतंक का 
मेलजोल है ।
तुम्हारी मोमबत्तिया तब नहीं जली 
जब देश में सैकड़ो बे गुनाह मुंबई में मरे ।
जब होटल ताज में लोग जले ।
जब तुम्हारे सैनिको के सर की नुमाइस लगी
जब तुम्हारे विमान को कंधार लाया गया ।
जब तुम्हारे संसद पर हमला हुआ 
जब देश के सैनिको की कारगिल में नृशंश 
हत्याएं हुई ।
और अब हाफिज की तैयारी 
बंद करो ये मानवतावादी दिखने का 
पाखंड ।
नहीं तो ये तुम्हारी देशनिरपेक्षता 
कर देगी  तुम्हारे ही देश को खंड खंड ।

         नवीन

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