तीखी कलम से

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जी हाँ मैं आयुध निर्माणी कानपुर रक्षा मंत्रालय में तकनीकी सेवार्थ कार्यरत हूँ| मूल रूप से मैं ग्राम पैकोलिया थाना, जनपद बस्ती उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ| मेरी पूजनीया माता जी श्रीमती शारदा त्रिपाठी और पूजनीय पिता जी श्री वेद मणि त्रिपाठी सरकारी प्रतिष्ठान में कार्यरत हैं| उनका पूर्ण स्नेह व आशीर्वाद मुझे प्राप्त है|मेरे परिवार में साहित्य सृजन का कार्य पीढ़ियों से होता आ रहा है| बाबा जी स्वर्गीय श्री रामदास त्रिपाठी छंद, दोहा, कवित्त के श्रेष्ठ रचनाकार रहे हैं| ९० वर्ष की अवस्था में भी उन्होंने कई परिष्कृत रचनाएँ समाज को प्रदान की हैं| चाचा जी श्री योगेन्द्र मणि त्रिपाठी एक ख्यातिप्राप्त रचनाकार हैं| उनके छंद गीत मुक्तक व लेख में भावनाओं की अद्भुद अंतरंगता का बोध होता है| पिता जी भी एक शिक्षक होने के साथ साथ चर्चित रचनाकार हैं| माता जी को भी एक कवित्री के रूप में देखता आ रहा हूँ| पूरा परिवार हिन्दी साहित्य से जुड़ा हुआ है|इसी परिवार का एक छोटा सा पौधा हूँ| व्यंग, मुक्तक, छंद, गीत-ग़ज़ल व कहानियां लिखता हूँ| कुछ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होता रहता हूँ| कवि सम्मेलन के अतिरिक्त काव्य व सहित्यिक मंचों पर अपने जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों को आप तक पहँचाने का प्रयास करता रहा हूँ| आपके स्नेह, प्यार का प्रबल आकांक्षी हूँ| विश्वास है आपका प्यार मुझे अवश्य मिलेगा| -नवीन

सोमवार, 4 नवंबर 2013

गुणवत्ता शपथ गीत

        

गुणवत्ता की महाक्रांति, संकल्प शपथ दोहरायेंगे।
हम उत्पादन के प्रहरी, उत्पादन  मान  बढ़ायेंगे।।

                   गौरवशाली  तकनीकि का, रचते हैं इतिहास  नया।
                   सदा उन्नति के पथ पर दें भारत को आयाम नया।।
                   नयी सोच व  नये सृजन से  गुणवत्ता  अपनानी  है।
                   विश्व शिखर पर भारत की,गुणवत्ता को पहुचानी है।।

हम सेना की शक्ति  ,शस्त्र  का स्वाभिमान  बढ़ायेंगे।
गुणवत्ता की महाशक्ति  का हम सम्मान दिलायेंगे।।
गुणवत्ता  की  महाक्रांति,  संकल्प  शपथ  दोहरायेंगे।
हम   उत्पादन  के  प्रहरी , उत्पादन  मान  बढ़ायेंगे।।

                   ग्राहक की संतुषिट को गर , तुमने  कभी  नहीं खोई।
                   प्रतिस्पर्धा का  साहस  कर  सके  देश फिर ना कोई।।
                   टी पी एम के साधन से गुणवत्ता लक्ष्य  साध्य होगी।
                   दुनिया भारत के पीछे चलने  का , तभी बाध्य होगी।।

हम भारत की शाख विश्व  के मानचित्र पर लायेंगे।
गुणवत्ता से अर्थ तंत्र का विकसित रूप  दिखायेंगे।।
गुणवत्ता की महाक्रांति, संकल्प  शपथ  दोहरायेंगे।
हम उत्पादन के  प्रहरी, उत्पादन  मान  बढ़ायेंगे।।

                   अनुशासित हो कार्यप्रणाली गुणवत्ता की जननी है।
                  सस्ते  और टिकाउ  की पहचान  हमारी  अपनी  है।।
                   हो नवशोध शस्त्र  की खतिर खर्च बचाना है हमको।
                   आयुध निर्माणी का झण्डा फिर लहराना है हमको।।

सत्य और निष्ठा के संग हम  इच्छा शक्ति  बढ़ायेंगे।
गुणवत्ता  उन्नत  स्वरूप से, हिन्दुस्तान  जगायेंगे।।
गुणवत्ता  की महाक्रांति, संकल्प  शपथ  दोहरायेंगे।
हम  उत्पादन  के  प्रहरी, उत्पादन  मान   बढ़ायेंगे।।
                                          
दिनांक 3.11.2013
                                          - नवीन मणि त्रिपाठी
                                     एस0एफ0एम0 ओ0एफ0सी0
        


6 टिप्‍पणियां:

  1. वाह!!!
    बहुत बढ़िया!!
    काश कि सभी अरमान पूरे हों......
    सादर
    अनु

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  2. सुन्दर और उत्साह बढ़ाता गीत, बहुत ही अच्छा।

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  3. बहुत सुन्दर संकल्प ! जरुरत है देश के भ्रष्टाचारियों से सावधान रहे |
    दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं !
    नई पोस्ट आओ हम दीवाली मनाएं!

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  4. प्रेरक शपथ गीत त्रिपाठी जी. बहुत अच्छा लगा पढ़कर.

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  5. प्रेरक .. गुणवत्ता का महत्त्व और उसे प्राप्त करने का संकल्प लेने की जरूरत को उकेरती सुन्दर रचना ... अर्थपूर्ण ...

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