तीखी कलम से

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जी हाँ मैं आयुध निर्माणी कानपुर रक्षा मंत्रालय में तकनीकी सेवार्थ कार्यरत हूँ| मूल रूप से मैं ग्राम पैकोलिया थाना, जनपद बस्ती उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ| मेरी पूजनीया माता जी श्रीमती शारदा त्रिपाठी और पूजनीय पिता जी श्री वेद मणि त्रिपाठी सरकारी प्रतिष्ठान में कार्यरत हैं| उनका पूर्ण स्नेह व आशीर्वाद मुझे प्राप्त है|मेरे परिवार में साहित्य सृजन का कार्य पीढ़ियों से होता आ रहा है| बाबा जी स्वर्गीय श्री रामदास त्रिपाठी छंद, दोहा, कवित्त के श्रेष्ठ रचनाकार रहे हैं| ९० वर्ष की अवस्था में भी उन्होंने कई परिष्कृत रचनाएँ समाज को प्रदान की हैं| चाचा जी श्री योगेन्द्र मणि त्रिपाठी एक ख्यातिप्राप्त रचनाकार हैं| उनके छंद गीत मुक्तक व लेख में भावनाओं की अद्भुद अंतरंगता का बोध होता है| पिता जी भी एक शिक्षक होने के साथ साथ चर्चित रचनाकार हैं| माता जी को भी एक कवित्री के रूप में देखता आ रहा हूँ| पूरा परिवार हिन्दी साहित्य से जुड़ा हुआ है|इसी परिवार का एक छोटा सा पौधा हूँ| व्यंग, मुक्तक, छंद, गीत-ग़ज़ल व कहानियां लिखता हूँ| कुछ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होता रहता हूँ| कवि सम्मेलन के अतिरिक्त काव्य व सहित्यिक मंचों पर अपने जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों को आप तक पहँचाने का प्रयास करता रहा हूँ| आपके स्नेह, प्यार का प्रबल आकांक्षी हूँ| विश्वास है आपका प्यार मुझे अवश्य मिलेगा| -नवीन

गुरुवार, 3 मई 2012

गाँधी तेरे देश में


                              
भ्रष्टाचार के निमित्त कुछ  छंद

गाँधी  तेरे  देश  में  विडम्बना  का हाल  ये  है ,भ्रष्टता  परंपरा  की  रीत बन जाएगी |.
आधी अर्थ  शक्ति तो विदेशियों के हाथ में है ,उग्रता तो जनता की प्रीत बन जाएगी ||.
लाज शर्म  घोल के  पिया  है जननायकों  ने ,लोकपालवादियों  की नीद  उड़ जाएगी |
कली है  कमाई अब देश के  प्रशासकों , की अब तो  लुटेरों वाली  नीति  बन जाएगी ||

हो रहा  अवैध  है खनन  इस देश  में  तो भट्टा  परसौल  की  मिसाल मिल जाएगी |
टू जी का घोटाला है तो खेलों में भी घाल-मेल ,ऐसे जननायकों की चाल दिख जाएगी||
हत्यारे ये रोगियों की दवाओं को लूटते हैं , जाँच  की मजाल की जुबान सिल जाएगी |
कौन  से भरोसे से तू  वोट मांग पायेगा रे , चोर  सी निगाह  तेरी  उठ  नहीं  पायेगी ||.

होड़ सी  लगी है आज देश  को खंगालने  की ,देश में  विषमता की  खाई  खुद जाएगी |

टूट रही देश भक्ति  टूट रहा आत्मबल  , और क्या व्यथाओं  की निशानी  चुभ जाएँगी |
रोटी दाल थाली  मजदूर  से भी  दूर चली ,महगाई  मौत  की  कहानी  लिख  जाएगी ||
लोकतंत्र  का  मजाक  बन  गया  देश आज , वन्दे  मातरम वाली  वाणी  उठ  जाएगी||

अर्थ के गुलाम बन  जिन्दगी जियेंगे  नही , दूसरी आजादी की  लडाई  छिड़  जाएगी |
काले  कारोबारियों को  देश से उखाड़ फेंक , देश में प्रसन्नता  की  फिर  घडी आएगी ||
धैर्य की  परीक्षा अब  देंगे  नही  देश वासी,  अर्थतंत्र  वाली  बलि- बेदी  चढी   जाएगी |
बांध  के  कफ़न  आज युद्ध में  तो कूद कर , भ्रष्टाचारी  ताज पर  मौत  जड़ी  जाएगी ||

लूट  तंत्र ,  घूस  तंत्र , भ्रष्टता  के  षड्यंत्र  ,गणतंत्र  शक्ति  वाली  कीर्ति   धुल  जाईगी |
जाति  क्षेत्र  धर्मवाद  जैसी  ही  जकड़ता  में, अभिशप्त उन्नति की मूर्ति बन जाएगी ||
जाग  नहीं  पाए   तो  ये देश  टूट  जाएगा भी ,दुर्भाग्य   चरम  की  पूर्ती  कर  जाएगी |
मरना जरूरी है  तो देश के  लिए  ही  मरो , बलिदानी  मृत्यु तेरी  जीत  बन  जाएगी ||

24 टिप्‍पणियां:

  1. जाग नहीं पाए तो ये देश टूट जाएगा भी ,
    दुर्भाग्य चरम की पूर्ती कर जाएगी |
    मरना जरूरी है तो देश के लिए ही मरो ,
    बलिदानी मृत्यु तेरी जीत बन जाएगी ||

    बहुत सुंदर सार्थक अभिव्यक्ति // बेहतरीन रचना //नवीन जी.....

    MY RECENT POST ....काव्यान्जलि ....:ऐसे रात गुजारी हमने.....

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  2. वाह...
    होड़ सी लगी है आज देश को खंगालने की ,देश में विषमता की खाई खुद जाएगी |
    टूट रही देश भक्ति टूट रहा आत्मबल , और क्या व्यथाओं की निशानी चुभ जाएँगी |

    बहुत बढ़िया,गहन और सार्थक रचना.

    सादर.

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  3. आज के समय को यथार्थ रूप में परिभाषित किया है ...सुंदर प्रस्तुति

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  4. देख तेरे इस देश की हालत क्या हो गयी भगवान..

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  5. बलिदानी मृत्यु तेरी जीत बन जाएगी | bahut hi umda sir ji !!

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  6. अर्थ के गुलाम बन जिन्दगी जियेंगे नही , दूसरी आजादी की लडाई छिड़ जाएगी |
    काले कारोबारियों को देश से उखाड़ फेंक , देश में प्रसन्नता की फिर घडी आएगी

    ये काम हम सभी कों मिल के करना होगा ... सब कों खड़ा होना होगा ... बहुत प्रेरित करती है आपकी रचना ...

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  7. अर्थ के गुलाम बन जिन्दगी जियेंगे नही , दूसरी आजादी की लडाई छिड़ जाएगी द्य
    काले कारोबारियों को देश से उखाड़ फेंक , देश में प्रसन्नता की फिर घडी आएगी द्यद्य
    धैर्य की परीक्षा अब देंगे नही देश वासी, अर्थतंत्र वाली बलि- बेदी चढी जाएगी द्य
    बांध के कफन आज युद्ध में तो कूद कर , भ्रष्टाचारी ताज पर मौत जड़ी जाएगी द्यद्य

    हम कामना करते हैं कि इस रचना में व्यक्त की गई कल्पना जल्द ही साकार हो।

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  8. सार्थकता लिए सटीक प्रस्‍तुति।

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  9. अर्थ के गुलाम बन जिन्दगी जियेंगे नही , दूसरी आजादी की लडाई छिड़ जाएगी |
    काले कारोबारियों को देश से उखाड़ फेंक , देश में प्रसन्नता की फिर घडी आएगी ||
    धैर्य की परीक्षा अब देंगे नही देश वासी, अर्थतंत्र वाली बलि- बेदी चढी जाएगी |
    बांध के कफ़न आज युद्ध में तो कूद कर , भ्रष्टाचारी ताज पर मौत जड़ी जाएगी ||

    बेहद की रिदम और ताल है इस रचना में गाके देख लिया .अर्थ भी और भाव अनुभाव जोश भी आग्रह भी बदलाव का .शुक्रिया .कृपया यहाँ भी पधारें -
    बुधवार, 9 मई 2012
    शरीर की कैद में छटपटाता मनो -भौतिक शरीर
    http://veerubhai1947.blogspot.in/
    आरोग्य समाचार
    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/2012/05/blog-post_09.हटमल
    क्या डायनासौर जलवायु परिवर्तन और खुद अपने विनाश का कारण बने ?
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  10. बहुत शानदार और सटीक प्रस्तुति...

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  11. देश के तंत्र की आपने खूब धज्जी उड़ाई है।

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  12. मरना जरूरी है तो देश के लिए ही मरो , बलिदानी मृत्यु तेरी जीत बन जाएगी

    जोश का संचार करते, नवीन स्फूर्ति भरते, उर्जावान छंद. समस्या के साथ-साथ समाधान भी,वाह!

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  13. बिलकुल यही दशा है ...सार्थक चित्रण ...
    बहुत सुंदर रचना ...!
    शुभकामनायें ....!!

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  14. बहुत ही प्रभावी रचना ....उत्कृष्ट अभिव्यक्ति..आभार

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  15. बहुत सुन्दर प्रस्‍तुति.............आभार

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  16. बहुत ही प्रभावित करती पक्तियां । मेरे नए पोस्ट अमीर खुसरो पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

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  17. तीखी कलम से निकली एक अर्थपूर्ण रचना जो मुल्क की हालत को बख़ूबी बयान करती है...
    बहुत अच्छे.... नवीन भई
    वैसे आपके सवाल का जवाब मैने दे दिया है..
    gazal ke sher to ab kr gaye asar etana.
    gahre jajbat numais ki vajah too jane ..

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  18. सुंदर प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट कबीर पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

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  19. पूरे तंत्र का सच्चा हाल आपने लिख दिया है।

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