तीखी कलम से

मेरे बारे में

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जी हाँ मैं आयुध निर्माणी कानपुर रक्षा मंत्रालय में तकनीकी सेवार्थ कार्यरत हूँ| मूल रूप से मैं ग्राम पैकोलिया थाना, जनपद बस्ती उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ| मेरी पूजनीया माता जी श्रीमती शारदा त्रिपाठी और पूजनीय पिता जी श्री वेद मणि त्रिपाठी सरकारी प्रतिष्ठान में कार्यरत हैं| उनका पूर्ण स्नेह व आशीर्वाद मुझे प्राप्त है|मेरे परिवार में साहित्य सृजन का कार्य पीढ़ियों से होता आ रहा है| बाबा जी स्वर्गीय श्री रामदास त्रिपाठी छंद, दोहा, कवित्त के श्रेष्ठ रचनाकार रहे हैं| ९० वर्ष की अवस्था में भी उन्होंने कई परिष्कृत रचनाएँ समाज को प्रदान की हैं| चाचा जी श्री योगेन्द्र मणि त्रिपाठी एक ख्यातिप्राप्त रचनाकार हैं| उनके छंद गीत मुक्तक व लेख में भावनाओं की अद्भुद अंतरंगता का बोध होता है| पिता जी भी एक शिक्षक होने के साथ साथ चर्चित रचनाकार हैं| माता जी को भी एक कवित्री के रूप में देखता आ रहा हूँ| पूरा परिवार हिन्दी साहित्य से जुड़ा हुआ है|इसी परिवार का एक छोटा सा पौधा हूँ| व्यंग, मुक्तक, छंद, गीत-ग़ज़ल व कहानियां लिखता हूँ| कुछ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होता रहता हूँ| कवि सम्मेलन के अतिरिक्त काव्य व सहित्यिक मंचों पर अपने जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों को आप तक पहँचाने का प्रयास करता रहा हूँ| आपके स्नेह, प्यार का प्रबल आकांक्षी हूँ| विश्वास है आपका प्यार मुझे अवश्य मिलेगा| -नवीन

शनिवार, 26 नवंबर 2011

चाइना से सावधान .... अपना तिरंगा तुम पेइचिंग गाड दो

नोच नोच खाने को तैयार बैठा ड्रैगन आज ,भारती के पूत तुम भारती को शान दो |
स्वाभिमान रोज रोज रौंद रहा चीन आज ,देश की अखंडता को फिर से  उकार दो ||
आँख जो उठा के देश की प्रचंडता को , अपना   तिरंगा  तुम    पेइचिंग में गाड दो |
छदम वेष धारी बन बैठा है नीच दुष्ट ,लालची  को  आज  तुम  शेर  सा  दहाड़   दो ||

कारगिल युद्ध का प्रणेता बन बैठा था वो, चोर जैसे मुखड़े  पे  जोर  सा   प्रहार   दो |
खिसियानी बिल्ली जैसा  आचरण  करता है खंड खंड कर के  घमंड  को सूधार  दो ||
ईर्ष्यालु देश  है  तुम्हारी  ही प्रगति  से  वो , अपनी  प्रगति  कर  उसको  उजाड़  दो |
लोक तंत्र बीज के ही  अस्त्र  से करो प्रहार ,चाइना के एक एक प्रान्त को भी फाड़ दो ||

छदम युद्ध कश्मीर में ही लड़ता रहा  वो  ,.ऐसे  धूर्त  वादियों को  विश्व  में  उछल  दो |
बाल भी ना बांका कर पाया है वहन पे आज,ऐसे नीच राष्ट्र को तुम हर की मिशाल दो ||
दृष्टि जो उठाये माता भारती की लाज पर, भीम बन दुशाशन की आँख भी निकल लो |
बन्दर जैसी घुड़की दिखाए किसी और को वो ,शक्ति देश हो तुम शक्ति का प्रमाण दो ||

ताना शाही देश का प्रतीक  बन  बैठा  है वह , विस्तारवादी की  प्रपंचना को काट दो |
सारे ही पड़ोसियों का शत्रु बन बैठा  है  वह ,कूटनीतिवादियों  के  पंख  को उखाड़ दो ||
परमाणु  बम  से  भी डरते  नहीं  हैं  हम  अग्नि  के  शोलों  का ना कोई इम्तहान लो |
राख हो भी जायेगा तुम्हारा राष्ट्र  याद रखो , भारतीय शक्ति को ना कोई शंखनाद दो ||

अग्नि परीक्षा है  आयुधों  के  पूत  आज ,आपने  जवान  को भी  शस्त्र विकराल   दो |
अपनी परम्परा को टूटने ना देना कभी , जज्बा  है  जीत  का  ये  इसको  मसाल दो ||
इतना बनना गोले राष्ट्र के लिए तुम आज बीजिंग जैसे शहर को गोलों  से  ही पट दो |
आयुध  निर्माणी  का पताका कर दो अमर ,आयुधों के पूत आज देश को सम्हाल लो ||

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