तीखी कलम से

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जी हाँ मैं आयुध निर्माणी कानपुर रक्षा मंत्रालय में तकनीकी सेवार्थ कार्यरत हूँ| मूल रूप से मैं ग्राम पैकोलिया थाना, जनपद बस्ती उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ| मेरी पूजनीया माता जी श्रीमती शारदा त्रिपाठी और पूजनीय पिता जी श्री वेद मणि त्रिपाठी सरकारी प्रतिष्ठान में कार्यरत हैं| उनका पूर्ण स्नेह व आशीर्वाद मुझे प्राप्त है|मेरे परिवार में साहित्य सृजन का कार्य पीढ़ियों से होता आ रहा है| बाबा जी स्वर्गीय श्री रामदास त्रिपाठी छंद, दोहा, कवित्त के श्रेष्ठ रचनाकार रहे हैं| ९० वर्ष की अवस्था में भी उन्होंने कई परिष्कृत रचनाएँ समाज को प्रदान की हैं| चाचा जी श्री योगेन्द्र मणि त्रिपाठी एक ख्यातिप्राप्त रचनाकार हैं| उनके छंद गीत मुक्तक व लेख में भावनाओं की अद्भुद अंतरंगता का बोध होता है| पिता जी भी एक शिक्षक होने के साथ साथ चर्चित रचनाकार हैं| माता जी को भी एक कवित्री के रूप में देखता आ रहा हूँ| पूरा परिवार हिन्दी साहित्य से जुड़ा हुआ है|इसी परिवार का एक छोटा सा पौधा हूँ| व्यंग, मुक्तक, छंद, गीत-ग़ज़ल व कहानियां लिखता हूँ| कुछ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होता रहता हूँ| कवि सम्मेलन के अतिरिक्त काव्य व सहित्यिक मंचों पर अपने जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों को आप तक पहँचाने का प्रयास करता रहा हूँ| आपके स्नेह, प्यार का प्रबल आकांक्षी हूँ| विश्वास है आपका प्यार मुझे अवश्य मिलेगा| -नवीन

शुक्रवार, 18 नवंबर 2011

भ्रष्टाचार के निमित्त कुछ छंद

             भ्रष्टाचार के निमित्त कुछ  छंद
                                 -- नवीन मणि त्रिपाठी
गाँधी  तेरे  देश  में  विडम्बना  का हाल  ये  है ,भ्रष्टता  परंपरा  की  रीत बन जाएगी |.
आधी अर्थ  शक्ति तो विदेशियों के हाथ में है ,उग्रता तो जनता की प्रीत बन जाएगी ||.
लाज शर्म  घोल के  पिया  है जननायकों  ने ,लोकपालवादियों  की नीद  उड़ जाएगी |
कली है  कमाई अब देश के  प्रशासकों , की अब तो  लुटेरों वाली  नीति  बन जाएगी ||




हो रहा  अवैध  है खनन  इस देश  में  तो भट्टा  परसौल  की  मिसाल मिल जाएगी |
टू जी का घोटाला है तो खेलों में भी घाल-मेल ,ऐसे जननायकों की चाल दिख जाएगी||
हत्यारे हैं जेलों के करेंगे क्या सुरक्षा वो , जाँच  की मजाल  की  जुबान सिल जाएगी |
कौन  से भरोसे से तू  वोट मांग पायेगा रे , चोर  सी निगाह  तेरी  उठ  नहीं  पायेगी ||.


होड़ सी  लगी है आज देश  को खंगालने  की ,देश में  विषमता की  खाई  खुद जाएगी |
रोटी दाल थाली  मजदूर  से भी  दूर चली ,महगाई  मौत  की  कहानी  लिख  जाएगी ||
टूट रही देश भक्ति  टूट रहा आत्मबल  , और क्या व्यथाओं  की निशानी  चुभ जाएँगी |
लोकतंत्र  का  मजाक  बन  गया  देश आज , वन्दे  मातरम वाली  वाणी  उठ  जाएगी||


अर्थ के गुलाम बन  जिन्दगी जियेंगे  नही , दूसरी आजादी की  लडाई  छिड़  जाएगी |
काले  कारोबारियों को  देश से उखाड़ फेंक , देश में प्रसन्नता  की  फिर  घडी आएगी ||
धैर्य की  परीक्षा अब  देंगे  नही  देश वासी,  अर्थतंत्र  वाली  बलि- बेदी  चढी  जाएगी |
बांध  के  कफ़न  आज युद्ध में  तो कूद कर , भ्रष्टाचारी  ताज पर  मौत  जड़ी  जाएगी ||

                                                              --नवीन मणि त्रिपाठी
                                                               जी  १ / २८ अरमापुर कानपुर
                                                          फोन - ९८३९६२६६८६


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